बिहार और कांग्रेस 2019 के लीए
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आज
एक अरसे बाद बिहार मे कांग्रेस की रैली थी , ज़िसमे बिपक्षी ऐकता को दिखाने
के साथ - साथ, कांग्रेस अपनी ज़ामिन तालाशने का कोशिश करते दिख रही है जो
एक राजनीतिक दल का पहला काम होता है , अब चुनाओ सामने है तब बिहार कांग्रेस
के सामने एक ही रस्ता दिकता है की वो राष्ट्रीए जनता दल का जोनींउर
पर्टनेर बने, तभी राष्ट्रीए जनता दल, कांग्रेस को केन्द्र की राजनीती मे
बिना सर्थ सपोर्ट करेगा, ज़िसका संकेत तेजस्वी के राहुल को प्रधान मंत्री
बनाने वाले भाषान से मीलता है.
बेशे भी बिहार मे कांग्रेस
1989 के बाद से ही संकट के दोर से गुजर रही है, मंडल और बाबरी मास्जिद के
मुद्दा ने एक नए प्रकार के राजनीतिक समिकरन को जन्म दीआ, ज़िस्के अगुआ थे
लालू जी ज़िन्होने, पिछड़े जातियों को लोकतंत्र मे भगीदार बनाई और मुसलमानो
को दांगो और नफरत की राजनीतिक आग से बचाने का वादा किआ, कामो -बेश लालू जी ,
अपने दोनो कामो मे सफल रहे. बिहार मे उनके दल का लम्बा साशन रहा, उस बीच
उनके ही साथी भाजपा से मिला कर उनको कुर्शी से चलते किआ .फिर नितिश ने
भाजपा से मिल कर और शुशाषान का चादार लगा कर बिहार मे राज करा. ज़िसे कुछ
लोग नितिश का सोशल करिसमा कहते थे , पर हमारे लिए तो मात्र, ऊची जाती के
बिहारी लोगो का हवा था , जो लोग लालू जी के राजनीती को पचा नहीं सकते थे.
2015
मे फिर से लालू का जादू चला और ऊंकी दल को अपनी ज़ामिन मिला पर लालू जी को
नितिश ने राजनीती चाकमा दीआ जिसके लीए नितिश माहीर है . अब रजद बिहार मे
सबसे मजबूत है, ऐसे समय मे कांग्रेस को चाहिए की वो बिहार मे राष्ट्रीए
जनता दल को ही सामने रखे, तभी 2019 के चुनाओ मे बिहार से अधिक संख्या मे
महागठबंधन के अधिक से अधिक लोग जीत कर लोकसभा मे जा सके. ताकी भारत को एक
नई सरकार मिल सके ज़ो वास्तो मे सब का बिकाश कर सके, ना की उनकी सारी ताकत,
उस मे लगी रहे कि हमे किआ खाना और किआ नहीं.हमे अपने ऐसे भारत बानाना है,
ज़िसका सपना बाबा साहब अम्बेदकर, गांधी और नेहरू ने देखा था .
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